RBI Note Printing: भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रा का एक अहम स्थान है. दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति से लेकर बड़े-बड़े लेनदेन तक, भारतीय मुद्रा हर स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुद्रा के प्रबंधन और नोटों की छपाई का कार्य करता है. खासतौर पर उच्च मूल्यवर्ग के नोट जैसे 500 रुपये के नोट, अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर उपयोग होते हैं.
कहां और कैसे छपते हैं भारतीय नोट?
भारत में मुद्रा की छपाई चार विशेष प्रेस में होती है.
- मैसूर और सालबोनी: ये प्रेस भारतीय रिजर्व बैंक के नियंत्रण में हैं.
- नासिक और देवास: ये प्रेस केंद्र सरकार के अधीन हैं.
इन प्रेसों में अत्याधुनिक तकनीक और सुरक्षा मानकों का पालन किया जाता है ताकि नकली नोटों की समस्या को नियंत्रित किया जा सके.
नोट छपाई की लागत
नोट छपाई की प्रक्रिया में लागत नोट के मूल्यवर्ग पर निर्भर करती है.
- छोटे मूल्यवर्ग के नोट:
10 रुपये का नोट छापने में लगभग 1 रुपये का खर्च आता है.
20 रुपये के नोट पर 95 पैसे प्रति नोट की लागत आती है. - मध्यम मूल्यवर्ग के नोट:
50 रुपये के नोट की छपाई लागत 1.14 रुपये प्रति नोट है.
100 रुपये के नोट की लागत 1.75 रुपये प्रति नोट है. - उच्च मूल्यवर्ग के नोट:
200 रुपये के नोट की छपाई लागत 2.37 रुपये प्रति नोट है.
500 रुपये के नोट की छपाई सबसे महंगी है, जिसकी लागत 2.57 रुपये प्रति नोट है.
500 रुपये के नोट की लागत अधिक क्यों है?
500 रुपये के नोट की छपाई में सबसे अधिक खर्च आता है. इसका कारण है:
- सुरक्षा विशेषताएं:
- नोट में जटिल सुरक्षा तंत्र जैसे वॉटरमार्क, सिक्योरिटी थ्रेड और माइक्रो प्रिंटिंग का उपयोग किया जाता है.
2. हाई क्वालिटी वाला कागज:
- नोट के कागज की क्वालिटी बेहद मजबूत होती है, जिससे इसकी आयु अधिक होती है.
3. जटिल मुद्रण प्रक्रिया:
- हाई क्वालिटी और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.
सिक्कों की ढलाई बनाम नोटों की छपाई
सिक्कों की ढलाई की लागत नोटों की छपाई से अधिक होती है. हालांकि सिक्कों की आयु कागजी नोटों से कहीं अधिक होती है, जिससे लंबे समय में यह किफायती साबित होते हैं.
- कागजी नोट जल्दी खराब हो जाते हैं और उन्हें दोबारा छापना पड़ता है.
- सिक्के लंबे समय तक चलते हैं, जिससे उनकी दीर्घकालिक लागत कम होती है.
मुद्रा छपाई में आरबीआई के सामने चुनौतियां
- मुद्रण लागत:
महंगाई और बढ़ती लागत के कारण आरबीआई को छपाई की लागत को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा है. - सुरक्षा मानकों को बनाए रखना:
नकली नोटों की समस्या से बचने के लिए सुरक्षा विशेषताओं पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. - भविष्य की योजनाएं:
डिजिटल भुगतान के बढ़ते चलन के बावजूद नकदी का महत्व लंबे समय तक बना रहेगा. ऐसे में आरबीआई को छपाई प्रक्रिया को अधिक कुशल बनाना होगा.
डिजिटल भुगतान का प्रभाव
हाल के वर्षों में डिजिटल भुगतान का चलन तेजी से बढ़ा है.
- यूपीआई, डेबिट कार्ड और मोबाइल वॉलेट्स ने नकदी के उपयोग को कुछ हद तक कम किया है.
- हालांकि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में नकदी का महत्व अभी भी बरकरार है.