School Closed : शुक्रवार को दोपहर 1 बजे शंभू बॉर्डर धरना स्थल से किसानों का दिल्ली की ओर पैदल मार्च शुरू होगा. इस मार्च में किसानों की प्रमुख मांगों में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी और अन्य कृषि सुधारों को लागू करना शामिल है. इस आंदोलन के चलते प्रशासन ने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए हैं.
अंबाला में स्कूल-कॉलेज बंद School Closed
अंबाला में आंदोलन को देखते हुए डिप्टी कमिश्नर ने सभी स्कूल और कॉलेजों को बंद रखने का आदेश दिया है. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 163 लागू कर दी गई है, जिसके तहत पैदल, वाहन या अन्य साधनों से जुलूस निकालने पर रोक लगा दी गई है. पुलिस ने भी इस आंदोलन के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं.
इंटरनेट सेवाओं पर रोक
अंबाला में शुक्रवार से 9 दिसंबर तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. यह फैसला इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए लिया गया है. अंबाला के डंगदेहरी, लोहगढ़, मानकपुर, डडियाना, बारी घेल, लहर्स, कालू माजरा, देवी नगर, सद्दोपुर, सुल्तानपुर और काकरू जैसे गांवों में इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से बंद रहेंगी.
पुलिस का अलर्ट और अपील
पुलिस अधीक्षक सुरिंदर सिंह भोरिया ने किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा कि जिला पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. प्रशासन ने किसानों से दिल्ली कूच करने के लिए अनुमति लेने को कहा है.
किसानों का धरना और मांगें
किसानों ने 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा की शंभू और खनौरी सीमाओं पर डेरा डाल रखा है. किसानों का कहना है कि उनकी प्रमुख मांगें अभी भी पूरी नहीं हुई हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले यह आंदोलन हो रहा है.
101 किसानों का पहला जत्था करेगा कूच
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 101 किसानों का पहला जत्था शुक्रवार को दिल्ली की ओर कूच करेगा. इसके बाद अन्य जत्थे भी राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर हरियाणा सरकार बल प्रयोग कर किसानों को रोकती है, तो इससे सरकार की मंशा उजागर होगी.
प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति
प्रशासन के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है. किसानों की संख्या और उनकी मांगों को देखते हुए, प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने पड़ रहे हैं. इंटरनेट सेवाओं पर रोक और स्कूल-कॉलेजों को बंद रखने के फैसले से स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है.
आंदोलन का ऐतिहासिक संदर्भ
किसानों का यह आंदोलन एक लंबे संघर्ष का हिस्सा है. इससे पहले भी किसान अपने अधिकारों और मांगों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन कर चुके हैं. पिछले साल कृषि कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन ने देशभर में बड़ी सुर्खियां बटोरी थीं.