School Holiday : महाराष्ट्र सरकार ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर 6 दिसंबर को स्थानीय अवकाश घोषित किया है. इस दिन राज्य सरकार के अधीन कार्यालयों, स्कूल-कॉलेजों और अन्य संस्थानों में अवकाश रहेगा. यह निर्णय बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति सम्मान और उनकी विरासत को याद करने के उद्देश्य से लिया गया है.
डॉ. भीमराव अंबेडकर एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता और एक महान समाज सुधारक थे. उन्होंने दलित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किए. बाबा साहेब ने सामाजिक समानता, शिक्षा के अधिकार और जाति-प्रथा के उन्मूलन के लिए अपना जीवन समर्पित किया. उनका योगदान भारतीय लोकतंत्र और सामाजिक न्याय को मजबूत करने में अतुलनीय है.
Maharashtra government declares 6th December as a local holiday on the occasion of Mahaparinirwana Diwas of Dr BR Ambedkar. pic.twitter.com/KJnAwv0PvT
— ANI (@ANI) December 4, 2024
महापरिनिर्वाण दिवस का महत्व
डॉ. अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था. उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. ‘महापरिनिर्वाण’ शब्द बौद्ध धर्म की एक अवधारणा है, जिसका अर्थ है मृत्यु के बाद आत्मा की मुक्ति. यह दिन न केवल उनके जीवन और योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि समाज में उनके द्वारा किए गए सुधारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी दिन है.
डॉ. अंबेडकर और बौद्ध धर्म
डॉ. अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में अपने 5 लाख अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म को अपनाया. उन्होंने घोषणा की थी कि “मैं हिंदू के रूप में नहीं मरूंगा.” उनके बौद्ध धर्म अपनाने का निर्णय उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक था. यह कदम उन्होंने जातिगत भेदभाव और असमानता के खिलाफ उठाया था. उनके धर्म परिवर्तन ने उनके अनुयायियों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया और बौद्ध धर्म को एक नई पहचान दी.
दीक्षाभूमि है बौद्ध धर्म अपनाने का स्थान
नागपुर की दीक्षाभूमि वह स्थान है, जहां डॉ. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया था. यह स्थान बौद्ध अनुयायियों और डॉ. अंबेडकर के समर्थकों के लिए पवित्र स्थल बन गया है. हर साल लाखों लोग दीक्षाभूमि पहुंचकर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
चैत्य भूमि है डॉ. अंबेडकर का समाधि स्थल
डॉ. अंबेडकर का अंतिम संस्कार मुंबई के दादर में किया गया था. उनका समाधि स्थल, जिसे ‘चैत्य भूमि’ के नाम से जाना जाता है, आज भी उनके समर्थकों और अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. महापरिनिर्वाण दिवस पर लाखों लोग यहां इकट्ठा होकर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि देते हैं.
महाराष्ट्र सरकार की पहल और इसका महत्व
महाराष्ट्र सरकार द्वारा 6 दिसंबर को अवकाश घोषित करना बाबा साहेब के प्रति गहरा सम्मान प्रकट करता है. यह कदम नई पीढ़ी को उनके योगदान और विचारों से परिचित कराने का एक माध्यम भी है.