Om Prakash Chautala : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और अनुभवी राजनीतिज्ञ ओम प्रकाश चौटाला का निधन हो गया है. उनके निधन से हरियाणा की राजनीति में एक युग का अंत हो गया. ओपी चौटाला हरियाणा की राजनीति में एक मजबूत और प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते थे.
तीन दिन का राजकीय शोक घोषित
ओम प्रकाश चौटाला के निधन पर हरियाणा सरकार ने प्रदेश में तीन दिन (20-22 दिसंबर) का राजकीय शोक घोषित किया है. इस दौरान प्रदेश में किसी भी प्रकार के सरकारी मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे. राज्य सरकार ने सभी सरकारी कार्यालयों और संस्थानों को इस शोक अवधि का पालन करने का आदेश दिया है.
शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
ओम प्रकाश चौटाला का अंतिम संस्कार शनिवार, 21 दिसंबर 2024 को राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. हरियाणा सरकार ने इस दिन राज्य में एक दिन का सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है. उनके पार्थिव शरीर को सिरसा के तेजा खेड़ा फार्म हाउस ले जाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार होगा.
चौटाला परिवार की राजनीतिक विरासत
ओम प्रकाश चौटाला का राजनीतिक सफर हरियाणा की राजनीति के महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है. वे चौधरी देवीलाल के पुत्र थे और उनके नेतृत्व में हरियाणा की राजनीति में बदलाव की एक नई धारा शुरू हुई. ओपी चौटाला ने चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा दी. उनके बेटे अभय चौटाला, अजय चौटाला और पोते दुष्यंत चौटाला भी सक्रिय राजनीति में हैं.
पार्थिव शरीर सिरसा ले जाया गया
ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय चौटाला, अजय चौटाला और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला उनके पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग से सिरसा ले गए. पार्थिव शरीर को तेजा खेड़ा फार्म हाउस पर रखा जाएगा, जहां परिवार और समर्थक उन्हें अंतिम विदाई देंगे.
हरियाणा की राजनीति में ओपी चौटाला की भूमिका
ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा की राजनीति के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक थे. उन्होंने हरियाणा को विकास के कई नए आयाम दिए. उनके शासनकाल में शिक्षा और कृषि क्षेत्र में कई सुधार किए गए. चौटाला ने हमेशा किसान और मजदूर वर्ग के हितों की लड़ाई लड़ी.
राजनीतिक जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव
ओपी चौटाला ने 1989 में पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री का पद संभाला. इसके बाद उन्होंने 1990, 1991 और 1999 में भी मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. हालांकि उनका राजनीतिक जीवन विवादों से भी अछूता नहीं रहा. शिक्षकों की भर्ती घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें सजा भी हुई, लेकिन जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बनी रही.