Diesel Vehicles Banned: दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार खराब होता जा रहा है. वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए हरियाणा सरकार ने 14 जिलों में डीजल वाहनों के संचालन पर रोक लगा दी है. इन जिलों में वाहनों को तब तक खड़ा रखने का निर्देश दिया गया है, जब तक कि वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो जाता.
किन जिलों में डीजल वाहन चलाने पर लगी रोक?
हरियाणा के 14 जिलों में डीजल वाहनों पर रोक लगाई गई है, जिनमें गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, रेवाड़ी, पानीपत, भिवानी, चरखी दादरी, करनाल, पलवल, नूंह, महेंद्रगढ़ और जींद शामिल हैं. यह कदम वायु गुणवत्ता को सुधारने के उद्देश्य से उठाया गया है. इन जिलों में सार्वजनिक और निजी डीजल वाहनों का संचालन तब तक नहीं होगा, जब तक कि AQI बेहतर स्तर पर नहीं पहुंचता.
हरियाणा में AQI का खतरनाक स्तर
हरियाणा में वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुका है. कुरुक्षेत्र जिले में एक्यूआई 338 के स्तर तक पहुंच गया है, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है. करनाल, अंबाला और पानीपत जिलों में भी AQI 300 के पार है. यह स्थिति राज्य के अधिकांश हिस्सों में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और तत्काल उपायों की मांग करती है.
वायु प्रदूषण के कारण और प्रभाव
- पराली जलाना: हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की समस्या वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है.
- वाहन प्रदूषण: वाहनों से निकलने वाला धुआं भी वायु गुणवत्ता को खराब करने में बड़ी भूमिका निभाता है.
- निर्माण कार्य: निर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल और गंदगी वायु प्रदूषण को बढ़ाती है.
- स्वास्थ्य पर असर: बढ़ता वायु प्रदूषण सांस की बीमारियों, अस्थमा, फेफड़ों की समस्याओं और दिल की बीमारियों को जन्म दे रहा है.
सरकार के उठाए गए कदम
हरियाणा सरकार ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं.
- डीजल वाहनों पर रोक.
- उद्योगों पर कड़ी निगरानी.
- पराली जलाने पर जुर्माना.
प्रदूषण कम करने के लिए जनता का सहयोग जरूरी
सरकार के कदम तब तक प्रभावी नहीं होंगे, जब तक जनता इसमें सहयोग नहीं करेगी. वाहन मालिकों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना चाहिए और अनावश्यक वाहनों का उपयोग कम करना चाहिए. साथ ही नागरिकों को पराली जलाने और कचरा जलाने से बचना चाहिए.